बड़ी मुश्किल से उठ पाता है कोई मामूली-सा भी दर्द इसलिए जब यह बड़ा दर्द आया है तो मानता हूँ कुछ नहीं है इसमें मेरा !
हिंदी समय में भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाएँ